प्रेमचंद ने निर्मला के पहले अद्याय में पूर्वाभास शेली का प्रयोग कर एक स्वप्न के मध्याम से पाठकों को बताया है कि निर्मला के जीवन में आगे क्या होगा। वह दिखता है की किस प्रकार एक बहुत ही शानदार नौका आती है परंतु वह उस पर चढ़ नहीं पाती है जो पाठकों को बाद में पता चलता है की इसका कारण उसके पिता की मृत्यु है। इस स्वप्न के माध्यम से प्रेमचंद पहले ही दर्शाते है की निर्मला की कहानी में बहुत दुःख है और की यह कहानी एक दुःख है।”रात भर नदी में नदी के निर्जन तट पर अकेली कैसे रहूँगी” दिखता है की किस प्रकार भारतीय समाज में यह मान्यता है की एक लड़की अपने ख़ुद के घर में बिन-बिहाई रह ही नहीं सकती और की ऐसा घर, उसका ख़ुद का घर, उसके लिए किसी निर्जन नदी के तट से कम नहीं है। स्वप्न के अंत की ओर प्रेमचंद दिखाते है की किस प्रकार नदी में नाव चक्कर खाने लगती है और वह कैसी उखाड़ सी जाती है यह इस बात का प्रतीक है की उसे अपने जीवन में शादी से कई समस्याएँ होंगी जिनसे वह काफ़ी ज़्यादा परेशान भी होगी और पाठकों को भी पड़कर दुःख होगा। पर यह स्वप्न पहले ही अध्याय में दिखा कर प्रेमचंद पाठकों के मन में कोई आशंका नहीं छोड़ते कि निर्मला के जीवन में अब क्या होगा।