ब्लॉग लेखन – सामाजिक मुद्दा-जाती भेद।

आज के सामाजिक वातावरण के अनुसार हम देख सकते हैं की हमें रंग भेद, स्वछता एवं स्त्री स्वतंत्रता जैसे ज़रूरी मुद्दों की जागरूकता बड़ानी चाहिए। हमें आज के नन्हें बालक को औरत का मर्यादा रखना सिखाना चाहिए। युवा पीडी को स्वछता का महत्व समझना चाहिए।हमें अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। अगर हम जात भेद, स्त्री उत्पीड़न और प्राथमिक शिक्षा की कमी जैसे गम्भीर समस्याएँ का विचार-विमंश न करें, समाज में कभी प्रगति न हो पाएगी।

मैने अपने ब्लॉग के लिए जाती भेद को ध्यान केंद्रित किया है। इस समस्या के बारे में बात करना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि हमें समाज में समानता पैदा करने की जरूरत है। भारतीय समुदाय में लंबे समय से चली आ रही मान्यताएं हैं जो एक दूसरे से जातियों को अलग करती हैं। यह मुद्दा गंभीर है कि यह उस बिंदु पर पहुंच गया है, जहां पीने वाले लोग बहुत पानी पीते हैं, जो कि निचली जाति के लोग पीते हैं। बॉलीवुड मूवी आर्टिकल 15 में, बलात्कार, आत्महत्या और वर्ग-आधारित अंतर जैसे मुद्दों के यथार्थवादी चित्रण के माध्यम से हम निम्न प्रकार के लोगों को मिलाते हुए और शेखी बघारते हुए देखते हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है जैसे वे किसी समुदाय के सदस्य हों। यदि हम सभ्य समाज को बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें समुदाय के सभी रूपों को अपनाने की आवश्यकता है हालांकि, भविष्य पूरी तरह से अंधेरा नहीं है। भारत सरकार ने इन मुद्दों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अपना अभियान बढ़ाया है। उन्होंने उन ग्रामीण क्षेत्रों की निगरानी भी बढ़ा दी है जहाँ कच्चे और अनैतिक विश्वास अधिक प्रचलित हैं। आज के समाज में इस मुद्दे का महत्व समझना बहुत ज़रूरी।