बंटी की जिज्ञासा

किताब के दौरान बंटी अपने माता-पिता के बीच तलाक को लेकर बहुत उत्सुक था। पहले तो उसे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है और बस यह मान लिया गया कि यह बहुत बड़ी बात नहीं है और सिर्फ एक छोटी सी बात है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी बंटी को यह एहसास होने लगा कि वह जितना सोचती थी, उससे कहीं ज्यादा गंभीर थी। जब उन्होंने महसूस किया कि यह एक गंभीर मुद्दा है, तो उनकी जिज्ञासा उनके लिए बेहतर हो गई और इसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने माता-पिता की बातचीत और इस तरह की अन्य बातों को सुनने के बारे में डर लग रहा था।

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