१) सेवक राम मसीही ईसाई धर्म का प्रचार करते थे|
२) हेडमास्टर कलीराम ने स्कूल मैं बालक ओमप्रकाश को स्कूल के अंदर और बहार झाड़ू लगाने का काम दिया था|
३) लेखक की कहानी “बैल की खाल” मैं पत्र के मुँह से गाली दिलवाने के कारण हिंदी के कई बड़े लेखकों ने नाक भौं सिखोड़ी थी|
४) बरला गाँव में कुछ मुस्लमान त्यागी भी थे| त्यागियों को भी तगा कहते थे| मुस्लमान तगाओं का व्यव्हार भी हिन्दुओं जैसा था| कभी कोई अच्छा साफ़ -सुथरा कपडा पहनकर यदि निकले तो फब्दिया सुन्नी पड़ती थी| ऐसी फब्दिया जो बुझे तीर की तरह भीतर तक उत्तर जाती थी| ऐसा हमेशा होता था| साफ़ सुथरे कपडे पहनकर कक्षा मैं जाओ तो साथ के लड़के कहते , अबे चूड़े का , नए कपड़े पहनकर आया है | मैले -पुराने कपड़े पहनकर स्कूल जाओ तोह कहते , “अबे चूहड़े के , दूर हट, बदबू आ रही है”|