अपठित गद्यांश में मेरे २० में से १९ अंक आए थे। इस परीक्षा में मैंने अंक केवल language में गवा दिए थे । मैंने लेखक द्वारा प्रयोग कि गई शिलियो पर श्रेस्ट रूप से ध्यान दिया था। अपनी अध्यापिका की सलाह मानते हुए मैंने एक सिरे से अपना अनुछेद लिखा था कासब कुछ एक सरल भाव ने लिखा था जिसको पढ़कर एक पाठक मेरे भाव आसानी से समझ सकते है। तो मेरे अनुसार मैंने अपने पिछले अनुचेद के मुताबिक़ काफ़ी सुधार दिखाया है। एक वजह जिसके कारण मैंने एक अंक गँवाया था की मैं बहुत ही लम्बे वाक्य बनता हु जिनका अर्थ कभी क़ब्र समझने में कठिनता होती है।
अपठित काव्यांश में मेरे २० मे से १८ अंक आए थे, इस पर मुझे गर्व हैं क्योंकि, यह हिंदी भाषा और हिंदी कविताओं का मेरी प्रभावी विश्लेषण करने की क्षमता में विकास का प्रतीक हैं । मैंने इस कविता का पूर्ण रूप से विश्लेषण किया हैं, चाहे वह शीर्षक कि सार्थकता हो या फिर शैलियो और भाषा का कवयित्री द्वारा प्रयोग अपने विचारों को स्थापित करने के लिए हैं। एक कमी जो मेरी rh गयी थी इस कविता में वो यह थी कि में इस कविता की कठिन भाषा प्रयोग के कारण अंतिम पंक्तिया नहीं समझ पाया था, इससे मेरे विश्लेषण और अनुछेद पर फ़र्क़ पड़ा है और इसको सुधारने के लिए मैं ज़्यादा कविताएँ आदि पड़ने की कोशिश करूँगा।