आपका बँट्य

मन्नू भंडारी (३ अप्रैल १९३१ ― १५ नवंबर २०२१)[2] हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार थीं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे।

आपका बँट्य एकल (nuclear) परिवार में पति-पत्नी के बीच अहम (ego) की लधाई में फ़ेज़ हुए एक बच्चे के मन का चित्रण सरलता से करता है। यह आधुनिक समझ की नयी समय है, जा पति-पत्नी सिर्फ़ अपनी स्वतंत्रता के विशे में सोचते है, और बच्चों की परवरिश को नज़र अन्दाज़ कर देते है। बँट्य माता पिता के अहंकार में फँसा उनका प्यार पाने के लिए बेचेन है। यह एक ऊँच माध्यम वर्ग की भयानक समस्या है। परमोआरा और संबंभो को लेकर इस वर्ग में अक्सर अशांति बनी रहती है। बँट्य यह पर पेनलिम की भाती इधर उधर लटका हुआ दिखाई परत ही।

शकुन और अजय तमाम कोशिहो के बबजूद भी एक नहीं हो पाते। अजय अपनी दबंग पत्नी को अपना नहीं पता। लेकिन मानसिक स्थर पर फिर भी उससे धूर ही रहती है।

बँट्य सात अध साल का एक प्रथिबाशाली बच्आ है। वह अप्पने माता पिता डोनोको प्यार करता है। अपनी लधाई में अक़्ल बँट्य बहूट सारे प्रशं के उतर धूँदने की कोशिश करता है।

वकील चाचआ बँट्य के मामी और पापा के बीच समझोता करना चाहते थे। शकुन

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