जूठन

 

जूठन पड़ते-पड़ते में भारत के जाती प्रथा  के बारे में सिख रही हूँ। फले मुझे इतना ही पता था की नीचे जाती लोगों का अपमान होता था। ओमप्रकाश वाल्मीकि के दृष्टिकोण के माध्यम से मुझे चूहड़े जाती का ___ट्रीटमेंट__ दिख रहा है। समाज में किस तरह ये अन्याय हो रहे थे औरे कैसे वे बदल rhe है। ओमप्रकाश वाल्मीकि विध्यालय जा पा रहा थे लेकिन हेडमस्तेर उनसे ज़रू पोछा करवाता था। ओमप्रकाश जी बच्चा ही था लेकिन उपर जाती के लोग उन्हें “चूहड़े” बुलाते थे। झूठा खाना मिलता था, बिना पैसे के लिए काम कारवेते थे।

 

ओमप्रकाश वाल्मीकि जी और उनके माता पिता समाज के अपमानो का इनकार करते है। पिता वाल्मीकि जो को चिदयालय से निकल देते है और उन्हें सिर्फ़ विद्यालय में पदाई के लिए ही वापिस भेजता है। माता जी झूट खाना घर लेजने के लिए इनकार करती है। ओमप्रकाश वाल्मीकि जी दिखाते हे की समाज में बदलाव कैसे आ रहा है। वो यह भी दिखाते है की उपर जाती नीचे जतो का निरादर करते है, जैसे की शादी के बारात में नीचे जाती के लोग सबके घर जाके उनको सलाम करते है। 

 

बेकार काम, जिस के लिए पैसे नहि मिलता है वे गरीब लोग गो गरीब रखने के लिए है। अगर विद्यालय में ठीक से पद नहीं सकते, बेकार काम करवाते है, तो गरीब लोग समाज में बर नहीं पेंगे।

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