मानो भंडारी इस उपन्यास की लेखक है जो की अभी गुजरी है। क्लास में हमने उसको याद करने के लिए 2-3 min याद किया।
आपका बंटी एकल परिवारों में पति-पत्नी के बीच अहम (ego ) की लराई में फँसे हुए एक बच्चे के मन का चित्रण सरल से करता है। यह आधुनिक समाज की नई समस्या है जहा पति-पति अपनी स्वतंत्रता के विशे में सोचते है, और बच्चों के परवरिश को नज़र अन्दाज़ को कर देते है। बंटी माता पिता के अहंकार में फँसा उनका प्यार पाने के लिए बाएचन है। यह एक उछ माध्यम वर्ग की भयानक समस्या है। परम्परा और संबंधो को लेकर इस वर्ग मैं अक्सर अशांति बनी रहती है। बंटी यह पर “pendulum” के भती इधर उधर लटकता हुआ दिखाय पड़ता है।
शकुन और अजय तमाम कोशिशों के बगजद भी एक नहीं हो पाते है। अजय अपनी दबंग पत्नी को अपना नहीं पता। शकुन अजस्ट करने की कोशिश करती है। शकुन अजस्ट करने की पूरी कोशिश करती है लेकिन मानसिक स्थर पर वह फिर भी उससे दूर ही रहती है।
बंटी सात आठ साल का प्रतिभा शाली बच्चा है। वह अपने माता पिता दोनो से ही प्यार करना चाहता है। दोनो के साथ ही रहना चटा है। अपनी लराई मैं अकेला बंटी बहुत सारी प्रश्नो के ऊथर का कोशिश करता है।
वकील चाचा बंटी के माता पिता के बीच समझोत करना चाटे थे। शकुन के पास दो रास्ते है घुटन एंड टूठन। वकील चाचा कहते है की तुम बंटी पर बहुत निर्भर करते है।
फूफी शकुन के घर में कह करने वाली अंधेर मलिहा है, जो बंटी को अपने बचे के तरह पलटी है। इस उपन्यास की भाषा बच्चों के बशा जैसे लिखी है।