दूसरा भाग
अध्याय एक
- मयोर्सोल ने कोई वकील नहि किया था, तो अदालत उसे एक वकील कर देती है
- माँ की “अंत्येष्टि” में बड़ी हृदयहीनता दिखाता है, इसलिए उसे लोग हृदयहीन और बेहया बुलाते हैं
- वकील पूछता है की पहली और बाक़ी की चार गोली में समय में अंतर क्यू? – मयोर्सोल जवाब न दे पता
- कहता है की वह ईश्वर में नहीं मानता – इसपर मेजिस्ट्रेट ऑफ़िसर बहुत ग़ुस्सा और परेशान हो जाता है
- मानसिक स्तिथि पर, शारीरिक स्तिथि का काफ़ी प्रभाव था
- मयोर्सोल को नहीं लगता है की उसने कुछ ग़लत किया है – जेल में ११ महीने गुजर जाते हैं
अध्याय दो
- मेरी से पहली और आख़री मुलाक़ात होती है, जिसमें मयोर्सोल का ध्यान दूसरे लोगों में लगा होता है
- जैसे समय गुजरा, मयोर्सोल भी बदलने लगा – हर आदमी आदि हो जाता है
- सिगरेट, औरत और आज़ादी न होना ही सबसे बड़ी सजा थी
- आर्टिकल – चकोसलवकिया के परिवार के बारे में –> सब कोई न कोई सजा भुगतते हैं
- समय पुरानी यादों और ख़ुद से बातों में बिताता है – बहुत सोता भी है
अध्याय ३
- मुक़दमा शुरू होता है – बहुत सारे पत्रकार होते हैं, सारे गवाह एक एक करके अपना बयान देते हैं
- माँ की वॉर्डन, चौकिदार और माँ का पुरुष मित्र सब कहते हैं कि मयोर्सोल हरदयहीन है
- सेलेस्टे, मेरी, मेसन, सलोमान और रेमंड सब मयोर्सोल के पक्ष में बयान देते हैं
- मेरी की बात उसके ख़िलाफ़ प्रयोग में ली जाती हैं – माँ की मृत्यु के एक दिन बाद दोनो मज़े करते है – फेरनंदेल की फ़िल्म, शारीरिक सम्बंध
- रेमंड की बातें कोई सुनता नहीं है क्यूँकि उसका ‘धंधा’ अच्छा नहि होता; मयोर्सोल को उसका साथी समझके अपराधी मनोवरत्ति का माँ लेते हैं
- मयोर्सोल बहुत गम्भीर हो जाता है
अध्याय ४
- सरकारी वकील का मनना था कि मयोर्सोल का गुनाह एक पुत्र का अपने पिता को मारने के बराबर है
- सरकारी वकील यह भी कहता है की मयोर्सोल को मालूम था की उसने क्या किया है – समज़दार है लेकिन आत्मा नहि है, पछतावा नहि है
- मयोर्सोल का मानना है की उसके सारे गुनाह गर्मी की वजह से हुए हैं
- उसका वकील कहता है की वह “अच्छा” और “मिलनसार” आदमी है
- मौत की सजा मिलती है – “चौराहे के बीच में खड़ा करके”…”गर्दन उड़ा दी जाए”
अध्याय ५
- मयोर्सोल को लगता है की उसे किसी तरह निकलना है; फाँसी से नहीं मरना
- फिरसे अपील करता लेकिन वह अस्वीकार हो जाती है
- पादरी मिलने आता है, उसे धर्म की तरफ़ मोड़ने के लिए, लेकिन वह साफ़ इनकार कर देता है
- मेरी को भूलने लगता है, कोई परवाह नहीं
- “एक दिन, सभी को फ़ासिपर मारना है, जो ज़िंदा है वह ‘किस्मतवार’ हैं”
- अपनी ज़िंदगी से वैराग्य हो जाता है – मरने के बाद की कोई उम्मीद नही; फाँसी के समय बहुत लोग हों