धर्मवीर भारती ने लघु उपनायस में सामाजिक मुद्दों को पाठकों के सम्मुख प्रेम कहानियों के माध्यम से रखा है।उपन्यास का अंतिम अध्याय आशावादी संदेश का संचार करता है।

धर्मवीर भारती ने लघु उपनायस में सामाजिक मुद्दों को पाठकों के सम्मुख प्रेम कहानियों के माध्यम से रखा है।उपन्यास का अंतिम अध्याय आशावादी संदेश का संचार करता है।

‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ एक लघु उपन्यास है, जो लेखक धर्मवीर भार्ती द्वारा लिखी गयी है। यह उपन्यास तीन कहानियाँ के बारे में है, मानिक मुल्ला और उसके रिस्थे तीन लड़कियों के साथ: जमुना, सती, और लिली। इसकी वजह से, यह एक प्रेम कहानी मानी जा सकती है, जो मद्यहम वर्ग की समस्याएँ को दर्शन करती है। मानिक मिल्ला इस उपन्यास के कथावाचक है, जो पूरी कहानी अपने दोस्तों को सात दोहपहरो में सुनता है, खुद के दृष्टिकोण से। इसीलिए इस उपन्यास का नाम है सूरज का ‘सातवाँ’ घोड़ा। हर दोहपर एक अध्याय के माध्यम से लिखी गयी है, और पाठकों को नाटिक शिक्षा भी देती है।

पहली कहानी का शीर्षक है ‘नमक की अदायगी’। इसमें लिखा है की एक बार किसी के घर के ‘नमक’ को खा लो, तो फिर उनके तरफ़ वफ़ादारी दिखाना ज़रूरी है, और उनके क़र्ज़ में हो जाते हो। लेखक ने हर चरित्र को अलग तरह से दिखाया है। जमुना को एक प्रगतिशील रौशिनी में दर्शाया है, जो मन्निक मुल्ला से बहुत घेरा सम्भंड बनाना चाहती है। लेखक ने इस कहानी में समाज में वर्ग विवाजन की समस्या को दर्शाया है; ज़मींदार ‘सामंत वर्ग’, और जमुना ‘मध्यम वर्ग’। अतः समाज में लैंगिक असमानता को दर्शाया गया है। कहानी में मार्क्सवादी विचारधारा को भी दिखायी गयी है, जब मानिक कहता है की सबके पास एक गाए होनी चाहिए, ताकि घी की नादिया भ सके।

दूसरी कहानी का शीर्षक है ‘घोड़े की नाल’। अनमेल विवाह की समस्या को दिखाया गया है। जमुना की शादी एक भुडे और अमीर मर्द से हो जाती है, जो एक और सामाजिक समस्या है। जमुना जब माएके जाती है, तो वह सबकी दिखती है की वह कितनी खुश है और कितने अच्छे से रह रही है। लेकिन, उनके पति की जब मृत्यु हो जाती है, तो दिखाया गया है की उसका एक बच्चा टाँगेवाला के सात हो जाता है। लेकिन, इसके बावजूद भी, जमुना को एक अच्छी रोशनी में दर्शाया गया है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से, जमुना की सोच बहुत आधुनिक है।

तीसरे कहानी में, जिसका कोई शीर्षक नहीं है, पाठकों को तना और उसके पिता के बारे में सीखने को मिलता है। इस कहानी में बहुत लोग मरते है: बुआ और तना को मिलाकर। जमुना के चरित्र के बारे में भी ज़्यादा पता चलता है, की वह कैसे तना के साथ होना चाहती है, और कैसे उसके दिल में जलन आती है। तना के पिता महेसरदलाल की भी मृत्यु हो जाती है। तना के ज़िंदगी में संघर्ष का कारण आर्थिक विपन्नता होता है। यह कहानी पाठकों को दर्शाती है की मानिक मुल्ला का प्यार कैसे अधूरा रह जाता है, और तना की शादी अंत में कैसी होती है।

चौथी कहानी का शीर्षक है ‘मालवा की यवुरानी देवसेना की कहानी’। इसमें, पाठकों लिली के बारे में जानते है, जो एक पड़ी-लिखी और अच्छी लड़की होती है। लिली को मानिक मुल्ला से बहुत प्यार होता है, लेकिन अंत में पता चलता है कि उसकी शादी तना से हो जाती है। लेखक ने तना की ज़िंदगी में उमस दिखायी है, जिसकी वजह से वह साँस नहीं ले पता। यहाँ पर वर्ग विवाजन की समस्या दर्शायी गयी है।

पाँचवीं कहानी, ‘काले बेंत का चाकू’, एक नाए चरित्र ससत्ती को दर्शाती है, जो मन्निक मुल्ला की अच्छी दोस्त बन जाती है। लेकिन इस अध्याय में लेंगिक असमानता की समस्या को गहरियत से प्रस्तुत किया है। सत्ती को उसके साथ भागना होता है लेकिन वह उसके भई को बुलाता है। तना के पिता महेसर्दलाल और चमन ठाकर मिलके सत्ती का खून करते है, या मानिक मुल्ला को ऐसा लगता है। 

छठी दोहपर की कहानी का शीर्षक है ‘क्रमागत’। मानिक मुल्ला आगे सत्ती फिर मिलती है, ज़िंदा, लेकिन इसके बावजूद सत्ती के सात बहुत बुरा हुआ होता है। मन्निक मुल्ला सत्ती को एक परिवार के साथ देखकर कम दोष लगता है, लेकिन इससे उसका धोका नहीं मिट था। यहाँ पर आर्थिक और लेंगिक असमानता को भी दिखाया है।

आख़री कहानी का शीर्षक पूरी उपन्यास से मिलती है, ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’। यह अध्याय अगले पीडी के बारे में है, और कैसे वह इस पीडी से बहतेर होगी और दुनिया को अच्छे के लिए बदले गी। लेखक ने प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग करके, सूर्या भगवान के रथ को दर्शाया है।

निष्कर्ष में, लेखक धर्मवीर भार्ती ने एक बड़ी विचरोड़पादक उपन्यास लिखी है, जिसमें बहुत गम्भीर और गहरी कहानियाँ दर्शायी गयी है। यह एक पूरे समाज की चित्र प्रस्तुत करता है। सारे चरित्र अलग तरीक़े में टकातीय हैं, लेकिन बोला जा सकता है कि सत्ती सबसे ज़्यादा थी, लेकिन सबसे ज़्यादा कम क़िस्मत वाली भी क्यूँकि जिस एक आदमी में उसका भरोसा था, उसने हाई धोखा दिया। अनेक कहानियाँ में एक कहानी होने के माध्यम से, लेखक ने कई सामाजिक समस्याओं, जैसे लंगिक असमानता, जाती, अनाचार, भ्रष्टाचार, निराशा, दहेज प्रथा, आदि। मेरे विचार से, लेखक की कई लिखी हुई बाटे आज के समाज में भी दिखाई देती है। अगर पूरे भारत, और विषय, की सोच प्रगतिशील ना बने, तो आगे बदन बहुत मुश्किल हो सकता है और असमानता बड़ सकती है।

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