As a new student, I was, at first, a little apprehensive. However, in terms of resources and the overall environment, I can now confidently say that school life is very enjoyable.
Month: September 2019
बात अठन्नी की
मैंने अपने कक्षा में यह कहानी की पढ़ाई की है। यह पाठ भारत के सामाजिक विभाजन को आकर्षित करती है। कहानी के नायक हैं रसीला, जो एक अमीर एंजिनीयर बाबू के यहाँ काम करता है। थोड़ी देर में पता चल जाता है की एंजिनीर बाबू पूरी तरह से भ्रष्ट हैं। परंतु रसीला ने कभी उनके तरह धर्म नहीं छोड़ा।
कम वेतन के कारण रसीला ने अपने मित्र रमज़ान से ऋण के कुछ पैसे ले लिए। एक दिन रसीला के मालिक ने उसे पाँच रुपये की मिठाई लाने के लिए भेजा। रसीला को अपने मित्र को अपना क़र्ज़ चुकाना था(एक अठन्नी), तो उसने सोचा की वह सड़ें चार रुपय की मिठाई लेकर अपने आधे रुपय का क़र्ज़ चुका देगा। वह पकड़ा गया, और एंजिनीर बाबू, जिन्होंने एक समय में पाँच सौ रुपय की रिश्वत ली थी, रसीला को पलीस थाने ले गए, जहाँ उन्होंने हवलदार को पैसे देकर अंदर भेज दिया।
यह कहानी में व्यंग्य है की एक भ्रष्ट आदमी ने अपने घर के नौकर को पलीस के हवाले एक अठन्नी के ऊपर कर दिया। ज़िला मैजिस्ट्रेट शेक सालीमुद्दीन भी तो एक बार में ही हज़ार रुपय रिश्वत खाते थे। आज की दुनिया में अगर आपके पास पैसें हैं आप दुष्कर्म से क़ानून की मुसीबत में नहीं पड़ोगे, क्योंकि हर कही लोग भ्रष्ट हो गए हैं। ५००-१००० रुपय के अमीर चोर आराम से अपने घरों में बैठे थे, और एक ग़रीब अठन्नी का चोर तीन महीने के लिए जेल में चला गया।